यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को अपना एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अनिवार्य है कि संक्रमणकाल में, संसद के भीतर और बाहर समावेशी चर्चा को आगे बढ़ाया जाए.
ख़बरों के अनुसार, गोटाबाया राजापक्सा ने देश छोड़ने के बाद अपना इस्तीफ़ा देने का प्रस्ताव दिया था. बुधवार को वो पहले मालदीव, और उसके बाद फिर सिंगापुर पहुंचे. इससे पहले हज़ारों लोगों ने राजधानी कोलम्बो में उनके सरकारी निवास पर धावा बोल दिया था.
प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवार को देश में बड़े आर्थिक संकट को रोक पाने में विफल क़रार दिया है, जिसके कारण देश में भोजन, ईंधन व मेडिकल सामग्री की भीषण क़िल्लत पैदा हो गई है.
देश आर्थिक बर्बादी के कगार पर है और आपात स्थिति में राहत पैकेज के लिये अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से चर्चा जारी है.
गोटाबाया राजापक्सा के त्यागपत्र के बाद, कोलम्बो की सड़कों पर जश्न का माहौल था, और यह देश में एक शक्तिशाली राजनैतिक परिवार के शासन के अन्त की घड़ी है.
शुक्रवार सुबह, राजधानी में माहौल अपेक्षाकृत शान्त था, मगर पेट्रोल के लिये लम्बी क़तार देखी जा सकती थी.
बुनियादी कारण
यूएन की रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर ने महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के उस सन्देश को रेखांकित किया है, जिसमें उन्होंने मौजूदा अस्थिरता की बुनियादी वजहों से निपटने की अहमियत पर बल दिया था.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि सभी हितधारकों के साथ मिलकर प्रयास करते हुए, श्रीलंका के आमजन की आकाँक्षाओं को पूरा करने के प्रयास किये जाने होंगे.
हैना सिन्गर-हामदी ने कहा कि प्रशासनिक एजेंसियों को क़ानून-व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी, और सुरक्षा बलों को अधिकतम संयम बरतते हुए, मानवाधिकार सिद्धान्तों व मानकों के तहत काम करना होगा.
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमेसिंघे अपने कार्यालय को छह बार सम्भाल चुके हैं, और शुक्रवार को अस्थाई तौर पर उन्हें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई.
श्रीलंका में सांसद, एक नए राष्ट्रपति को चुनने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करेंगे, और औपचारिक मतदान 20 जुलाई को होना है.
यूएन का समर्थन
संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूएन, श्रीलंका में सरकार व आम लोगों की हरसम्भव सहायता के लिये तत्पर है, ताकि देश में तात्कालिक व दीर्घकालीन ज़रूरतों को पूरा किया जा सके.
वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण देश में हालात बद से बदतर हुए हैं – स्वास्थ्य संकट की वजह से देश के महत्वपूर्ण पर्यटन उद्योग पर भीषण असर हुआ, जोकि ईंधन व मेडिकल सामग्री के आयात के लिये विदेशी मुद्रा का एक अहम स्रोत था.
यूक्रेन संकट क कारण सप्लाई चेन में आए व्यवधान से हालात और भी मुश्किल हुए हैं.
एक अनुमान के अनुसार, श्रीलंका में 22 फ़ीसदी खाद्य असुरक्षा का शिकार है और उन्हें सहायता की ज़रूरत है.
संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय राहत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये एक योजना पेश की है, जिसमें सर्वाधिक प्रभावित 17 लाख लोगों की मदद के लिये चार करोड़ 70 लाख डॉलर की अपील की गई है.
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