कोविड-19 की टीकाकरण रणनीति में, स्वास्थ्यकर्मियों और वृद्धजन को प्राथमिकता देने के लिये संशोधन

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कोविड-19 की टीकाकरण रणनीति में, स्वास्थ्यकर्मियों और वृद्धजन को प्राथमिकता देने के लिये संशोधन

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को कहा है कि कोविड-19 से निपटने की वैक्सीन का दुनिया भर में टीकाकरण होना वैसे तो, इतिहास में सबसे त्वरित गति का अभियान रहा है, मगर अब भी दुनिया भर में बहुत से लोग, इस बीमारी के जोखिम से महफ़ूज़ नहीं हैं. संगठन ने शुक्रवार को एक संशोधित टीकाकरण रणनीति की घोषणा भी की है.

नई योजना के तहत स्वास्थ्यकर्मियों और कमज़ोर स्वास्थ्य परिस्थितियों वाले लोगों के समूहों की 100 प्रतिशत संख्या का टीकाकरण कराने को प्राथमिकता दी गई है, जिनमें वृद्धजन और दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याओ का सामना कर रहे लोग भी शामिल हैं. 

यह प्राथमिकता वैश्विक आबादी के 70 प्रतिशत हिस्से का टीकाकरण करने के लक्ष्य के साथ ही जोड़ी गई है.

अभी तक दुनिया भर में, कोविड-19 का सामना करने वाली वैक्सीन के एक अरब 20 करोड़ से ज़्यादा टीके दिये जा चुके हैं, जिसके परिणामस्वरूप देशों में उनकी आबादियों के औसतन 60 प्रतिशत हिस्से का टीकाकरण हो चुका है.

फिर भी निम्न आय वाले देशों में वृद्धजन की केवल 28 प्रतिशत संख्या और स्वास्थ्यकर्मियों की 37 प्रतिशत संख्या को ही वैक्सीन के प्राइमरी टीके लग सके हैं, और उनमें से ज़्यादातर को अभी बूस्टर टीके तो लगे ही नहीं हैं.

व्यापक दायरे वाले लाभ

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “जहाँ 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण किये जाने का लक्ष्य हासिल भी कर लिया गया है, वहाँ भी स्वास्थ्य कर्मियों, वृद्धजन और जोखिम का सामना कर रहे अन्य समूहों की महत्वपूर्ण संख्या को अब भी टीके नहीं लगे हैं. ऐसे में मौतें होना जारी रहेगा, स्वास्थ्य प्रणालियों पर दबाव रहेगा और वैश्विक पुनर्बहाली ख़तरे में पड़ेगी.”

उनका कहना है, “सर्वाधिक जोखिम का सामना करने वाले लोगों व समूहों का टीकाकरण किया जाना ही, ज़िन्दगियाँ बचाने, स्वास्थ्य प्रणालियों के संरक्षण और समाजों व अर्थव्यवस्थाओं को खुला रखने का सर्वश्रेष्ठ रास्ता है.”

संवर्धित रणनीति में, इन प्राथमिकता वाले समूहों के टीकाकरण में प्रगति को मापने के उपायों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है.

निवेश और संवर्धन

संवर्धित वैक्सीन्स के विकास में तेज़ी लाना और वायरस से संक्रमण फैलाव में व्यापक कमी लाने के लिये वैक्सीन की समान उपलब्धता सुनिश्चित करना, एक शीर्ष प्राथमिकता है.

मौजूदा वैक्सीन एक तरफ़ तो गम्भीर बीमारी और मौतों को रोकने के लिये विकसित की गई हैं, और उनकी बदौलत लाखों – करोड़ों लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकी हैं, मगर ये वैक्सीन संक्रमण

फैलाव को नहीं कम कर सकी हैं. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि कोरोनावायरस अब भी व्यापक रूप में फैल रहा है, और इसके नवीन व ख़तरनाक वैरिएण्ट भी उभर रहे हैं, इसलिये वैक्सीन दिये जाने के और ज़्यादा प्रभावशाली व आसान रास्ते तलाश करने के लिये, शोध व विकास कार्यों में और ज़्यादा संसाधन निवेश करते रहना बहुत अहम है. इनमें नाक के ज़रिये वैक्सीन दाख़िल करने वाले nasal spray जैसे उत्पाद भी शामिल हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ अन्य महत्वपूर्ण कार्रवाइयों की भी पुकार लगाई है जिनमें वैक्सीन निर्माण सुविधाओं का सभी क्षेत्रों में समान वितरण सुनिश्चित करना भी शामिल है. 

साथ ही, अन्तरराष्ट्रीय कोवैक्स वैक्सीन एकजुटता पहल के साथ सहयोग जारी रखने के लिये संकल्प की अहमियत को भी रेखांकित किया गया है.

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